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मीडिया खबरों के मुताबिक एपल इस फैसले का विरोध करेगी और अपनी चिंताएं सरकार के सामने रखेगी। कंपनी का मानना है कि इस तरह की अनिवार्यता उसके डिवाइसों की प्राइवेसी और सुरक्षा संरचना पर असर डाल सकती है।
क्या कंपनी खटखटाएगी कोर्ट का दरवाजा
पहले भी एपल ने भारत सरकार के एंटी-स्पैम एप (जैसे DND) को रिजेक्ट किया था। एपल इस बार भी पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट का हवाला देकर कोर्ट जा सकती है। एपल के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती है। कंपनी की ग्लोबल पॉलिसी में स्पष्ट है- सरकारी या थर्ड-पार्टी एप्स को डिवाइस की बिक्री से पहले उसमें प्री-इंस्टॉल नहीं किया जा सकता। एपल iOS को क्लोज्ड सिस्टम रखती है, जहां एप स्टोर के अलावा कोई एप नहीं आ सकता।
मिला सैमसंग का साथ
एप्पल एवं सैमसंग ‘संचार साथी’ ऐप को मोबाइल फोन में अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने संबंधी सरकारी आदेश पर बातचीत कर बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिश करेंगी। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। दूरसंचार उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अग्रणी स्मार्टफोन कंपनियां भारत सरकार के इस आदेश के प्रावधानों की व्यावहारिकता पर सरकार से चर्चा करना चाहेंगी।
क्यों दिया सरकार ने आदेश
सरकार का तर्क है कि संचार साथी एप चोरी या गुम फोन ट्रैक करने, ब्लॉक करने और उनका गलत इस्तेमाल रोकने के काम आएगा। यानी साइबर फ्रॉड रोकने में मदद मिलेगी। संचार साथी एप की मदद से अब तक 7 लाख से ज्यादा गुम या चोरी हुए मोबाइल वापस मिल चुके हैं।
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बढ़ते विवाद के बाद सामने आई सफाई
सभी मोबाइल फोन में साइबर सिक्योरिटी एप 'संचार साथी' को प्री-इंस्टॉल करने के दूरसंचार विभाग (DoT) के आदेश पर विवाद बढ़ने के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार की सफाई आई। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ये कंपलसरी नहीं है। चाहे तो यूजर इसे डिलीट कर सकते हैं।
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प्रियंका ने बताया प्राइवेसी पर हमला
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि यह कदम लोगों की प्राइवेसी पर सीधा हमला है। यह एक जासूसी एप है। सरकार हर नागरिक की निगरानी करना चाहती है। साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग के लिए सिस्टम जरूरी है, लेकिन सरकार का ताजा आदेश लोगों की निजी जिंदगी में अनावश्यक दखल जैसा है। Edited by : Sudhir Sharma
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