
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय टीसीएस मामले में पूरी स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहा है और लगातार कंपनी के संपर्क में है। सूत्रों के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस घटनाक्रम को लेकर चिंतित है और इस फैसले के पीछे की असली वजह को समझने के लिए इसकी जांच करेगा।
सरकार का यह रुख इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टीसीएस ने इस साल 12,261 कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की है जो उसके कुल वैश्विक कार्यबल का दो प्रतिशत है। इस कदम का सबसे ज़्यादा असर मध्यम और वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों पर पड़ेगा।
टीसीएस के कुल कर्मचारियों की संख्या 30 जून, 2025 तक 6,13,069 थी। हाल ही में समाप्त जून तिमाही में इसने अपने कर्मचारियों की संख्या में 5,000 की बढ़ोतरी की थी। टीसीएस ने रविवार को एक बयान में कहा कि छंटनी का फैसला ‘भविष्य के लिए तैयार संगठन’ बनने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। इसके केंद्र में प्रौद्योगिकी, कृत्रिम मेधा (एआई) को अपनाना, बाजार विस्तार और कार्यबल पुनर्गठन में निवेश है।
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टाटा समूह की कंपनी ने कहा, टीसीएस भविष्य के लिए तैयार संगठन बनने की दिशा में अग्रसर है। इसमें कई मोर्चों पर रणनीतिक पहल शामिल हैं जिनमें नवीन प्रौद्योगिकी वाले क्षेत्रों में निवेश, नए बाजारों में पहुंच, अपने ग्राहकों और खुद के लिए बड़े पैमाने पर एआई का उपयोग, अपनी साझेदारियों को गहरा करना, अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे का निर्माण और अपने कार्यबल मॉडल का पुनर्गठन शामिल है।
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कंपनी ने कहा, इस दिशा में नए सिरे से कुशल बनाने और पुनर्नियोजन की पहल जारी हैं। इस क्रम में संगठन से उन सहयोगियों को हटाया भी जाएगा जिनकी तैनाती व्यवहार्य नहीं हो सकती है। इसका प्रभाव हमारे मध्यम और वरिष्ठ स्तर के करीब दो प्रतिशत वैश्विक कार्यबल पर पड़ेगा। टीसीएस ने छंटनी का शिकार होने वाले कर्मचारियों को उचित लाभ देने, नई नौकरी तलाशने में सहयोग देने, परामर्श और समर्थन देने का भरोसा दिलाया है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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